Search This Blog

Wednesday, 23 June 2021

STORY (कहानी)

एक राजा था। वह मूर्तिपूजा का घोर विरोधी था। एक दिन एक व्यक्ति उसके राज दरबार में आया और राजा को ललकारा - हे राजन! तुम मूर्ति पूजा का विरोध क्यों करते हो? 
राजा बोला – आप मूर्ति पूजा को सही साबित करके दिखाओ मैं अवश्य स्वीकार कर लूँगा।
व्यक्ति बोला - राजन यदि आप मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करते हैं तो दीर्घा में जो आपके स्वर्गवासी पिताजी की मूर्ति लगी है उस पर थूक कर दिखाएं और यदि थूक नहीं सकते तो आज से ही मूर्तिपूजा करना शुरू करें। 
यह सुनकर पूरी राजसभा में सन्नाटा छा गया। थोड़ी देर बाद राजा बोला – ठीक है। आप 7 दिन बाद आना तब मैं आपको अपना उत्तर दूंगा। 
उस समय तो वह व्यक्ति चला गया। लेकिन चौथे ही दिन वह व्यक्ति दौड़ा भागा गिरता पड़ता राजसभा में आ पहुँचा और जोर जोर से रोने लगा - त्राहिमाम राजन त्राहिमाम। 
राजा बोला - क्या हुआ ?
व्यक्ति बोला - राजन राजसैनिक मेरे माता पिता को बंदी बनाकर ले गए हैं और दो मूर्तियां मेरे घर में रख गए हैं। 
राजा बोला - हां मैंने ही आपके माता-पिता की मूर्तियां बनवाकर आपके घर में रखवा दी हैं। अब से आपके माता पिता हमारे बंदी रहेंगे और उन्हें खाने पीने के लिए कुछ न दिया जायेगा। लेकिन आप उनकी मूर्तियों की अच्छी प्रकार से सेवा करें। उन मूर्तियों को अच्छे से खिलाएं, पिलाएं, नहलाएं, सुलाएं। अच्छे अच्छे कपड़े पहनाएँ। व्यक्ति बोला – राजन वो मूर्तियां तो निर्जीव जड़ हैं वो कैसे खा पी सकती हैं और उन मूर्तियों को खिलाने पिलाने से मेरे माता पिता का पेट कैसे भरेगा ? मेरे माता पिता तो भूखे प्यासे ही मर जायेंगे। कुछ तो दया कीजिए।
राजा बोला – ठीक है। आप यह 10000 स्वर्ण मुद्राएँ ले जाएँ और उन मूर्तियों के सम्मान में उनके रहने के लिए एक अच्छा सा महल भी बनवा दें। व्यक्ति बोला – मेरे माता पिता बंदीगृह में रहें और मैं उन मूर्तियों की सेवा करूं ? यह तो महामूर्खता है।
राजा बोला - हम देखना चाहते हैं कि आपके माता पिता की मूर्तियों की सेवा से आपके असली माता पिता की सेवा होती है या नहीं।
व्यक्ति गिड़गिड़ा कर बोला – नहीं राजन उन मूर्तियों की सेवा से मेरे माता पिता की सेवा नहीं हो सकती।
राजा बोला - जब आप सर्वशक्तिमान सर्वव्यापक परमेश्वर की मूर्ति बनाकर पूज सकते हैं और उससे सर्वशक्तिमान सर्वव्यापक परमेश्वर की पूजा होना मानते हो तो अपने माता पिता की मूर्ति की सेवा से आपके माता पिता की सेवा क्यों नहीं हो सकती ?अब वह व्यक्ति कुछ न बोला और दृष्टि भूमि पर गड़ा लीं।राजा पुनः बोला – आपके माता पिता में जो गुण हैं जैसे ममता, स्नेह, वात्सल्य, ज्ञान, मार्गदर्शन करना, रक्षा करना, चेतन आदि उनकी मूर्ति में कभी नहीं हो सकते। वैसे ही मूर्ति में परमेश्वर के गुण जैसे सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, सर्वान्तर्यामी, सृष्टि, दयालू, न्यायकारी, चेतन नहीं हो सकते। फिर ऐसी मूर्ति की पूजा करने का कोई लाभ नहीं। इसके बाद थोड़ी देर राजसभा में सन्नाटा रहा। वह व्यक्ति निरुत्तर हो चुका था। व्यक्ति बोला – मुझे क्षमा कर दें राजन। आपने मेरी आँखें खोल दी हैं। मुझे मेरी गलती पता चल गई है। अब मैं ऐसी गलती दोबारा नहीं करूंगा।
 अंत में राजा बोला – और हाँ! जैसे हम अपने कपड़ों को साफ़ रखते हैं गंदा नहीं होने देते उनका सम्मान करते हैं। यादगार के लिए बनाए गए अपने पूर्वजों महापुरुषों के चित्र और मूर्तियाँ को साफ़ रखने या नष्ट होने से बचाने का महत्व बस इतना ही है। जाओ अपने माता पिता को सम्मान से ले जाओ।
 और इसी के साथ पूरी राजसभा राजा के ज्ञान और चातुर्य से प्रशंसा करते हुए जय जयकार करने लगी।
इस कहानी से हमे क्या सीख मिली कमेंट करके बताये।
Thanks for reading this story 🙏🙏🙏👍👍👍
                Akash

No comments:

Post a Comment

क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है?

Cloud Computing in Hindi – क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है? Cloud Computing एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसमें data और program को इंटरनेट में स्टोर और एक...